रायपुर। छग में विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा को राज्य में बड़ा झटका लगा हैं। पार्टी के आदिवासी चेहरे और राज्य के कद्दावर आदिवासी नेता नंदकुमार साय भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया हैं। साय ने अपने इस्तीफे में अपनी ही पार्टी के राजनीतिक प्रतिद्वंदियों पर छवि धूमिल करने का आरोप लगाया है। साय के इस्तीफे और आरोपों के बाद से प्रदेश भाजपा के नेताओं ने चुप्पी साध ली है। साय पांच बार सांसद, तीन बार विधायक, दो बार प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। साय भाजपा में कई दिनों से अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे थे। सोमवार को उन्होंने सीएम भूपेश बघेल की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थामा। आने वाले वक्त में कांग्रेस उन्हें कोई बड़ा पद दे सकती है। संकेत हैं कि उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है। कांग्रेस में उन्हें लाने के लिए कांग्रेस के ही एक स्थानीय नेता ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। पिछले पांच दिनों से साय कांग्रेस नेताओं के संपर्क में थे। कांग्रेस में जाने का फैसला होने के बाद रविवार को उन्होंने भाजपा से अपनी नाराजगी जताते हुए पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। साय की राजनीति ऐसी रही है कि वे विवादों से दूर रहे हैं। इसी कारण राजनीति में उनके बारे में नकारात्मक टिप्पणी कभी सुनने में नहीं आई। कांग्रेस आने वाले विधानसभा में साय के प्रभाव का इस्तेमाल करना चाहेगी। विधानसभा चुनाव के बाद अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस साय के चेहरे को सामने करेगी। कांग्रेस के पास अभी तक सरगुजा के आदिवासी बेल्ट में नेता जरूर थे। लेकिन जशपुर में किसी दमदार चेहरे की कमी थी। नंदकुमार साय के आने से पार्टी वहां पहले के मुकाबले और मजबूत होगी।