महासमुंद। पूर्व विधायक डा विमल चोपड़ा ने केन्द्र सरकार द्वारा धान की एमएसपी की राशि में 100 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी का स्वागत करते हुए केन्द्र की मोदी सरकार का धन्यवाद ज्ञापित किया है। वहीं राज्य सरकार द्वारा केन्द्र प्रदत्त राशि को किसानों के बजाय अपनी जेब में डालने की नीति को किसान हित में राज्य सरकार का डाका बताया है। 2018 से किसानों को 2500 रुपए की घोषणा के बाद इन चार वर्षों में बढ़ती मंहगाई का रोना रोने वाली कांग्रेस सरकार ने एक रुपए की वृद्धि नहीं की। जबकि, केन्द्र सरकार ने अब तक लगभग 450 रुपए धान के मूल्य में वृद्धि की, इस बढ़ोत्तरी को राज्य सरकार ने किसानों तक नहीं पहुंचने दी और रोककर अपनी जेब में रख ली।
डॉ.चोपड़ा ने कहा कि केन्द्र द्वारा 100 रुपए बढ़ाने के बाद धान का मूल्य 2600 रुपए राज्य सरकार यदि कर रही है तो पिछले 3 वर्षों में समर्थन मूल्य में की गयी वृद्धि के समय उसने धान के मूल्य में वृद्धि क्यों नहीं की ? वृद्धि न होने के कारण जिस किसान को धान का मूल्य 2900 रुपए मिलना था, उन्हें मात्र 2500 रुपए दिया जा रहा है। पिछले तीन वर्षों से एमएसपी की जो राशि बढ़ी है, वह लगभग 300 रुपए है। अत: पहले, दूसरे, तीसरे वर्ष वृद्धि को मिलाया जाय तो 550 रुपए क्विंटल का एरियर्स किसानों का बनता है, जिसे राज्य सरकार को तत्काल किसानों को देना चाहिए। यदि राज्य सरकार एरियर्स की यह राशि किसानों को नहीं देती है तो प्रदेश के किसानों लगभग 10 हजार करोड़ का घाटा होगा, जो राज्य सरकार द्वारा किसानों की जेब में डाका डालना कहलाएगा। धान की खरीदी में केन्द्र सरकार 2050 रुपए देगी। वहीं मात्र 600 रुपए देकर किसान हित की बात करने वाली सरकार का ढकोसला मात्र है। जिस धान की खरीदी आज 2950 में होनी चाहिए, उसे चुनाव के बाद 2800 में खरीदने की बात कहना किसानों के साथ ठगी है। 2900 रुपए की बजाए 2600 रुपए देकर किसान को भ्रमित करने का कार्य राज्य सरकार कर रही है, जिसका जवाब आने वाले चुनाव में कांग्रेस को छत्तीसगढ़ की किसान देंगे।