महासमुंद। सिकलसेल से ग्रसित मरीजों की जांच एवं उपचार के लिए जिले में 2 अक्टूबर से शुरु होने वाले सिकलसेल यूनिट के लिए मरीजों को अभी और प्रतिक्षा करनी होगी। शासन ने जिले में सिकलसेल यूनिट को फिलहाल किन्ही कारणों से स्थगित कर दिया है।
मेडिकल कॉलेज व स्वास्थ्य विभाग ने जिला अस्पताल संबद्धता मेडिकल कॉलेज में यूनिट शुरु करने के लिए पूरी तैयारी कर ली थी। लेकिन किन्ही कारणों से शासन ने इसे फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है। इस संबंध में यूनिट के नोडल अधिकारी डॉ ओंकार कश्यप ने बताया कि शासन की ओर से आज सुबह ही जानकारी दी गई है कि कल 2 अक्टूबर से शुरु होने वाले सिकलसेल यूनिट को फिलहाल कुछ दिनों के लिए रोक दिया जाए। उनका कहना है कि यहां शुरु होने वाले यूनिट में उपचार के लिए आने वाले मरीजों की जांच एवं सुविधा के लिए उन्होने सभी आवश्यक तैयारी पूरी कर ली है। मरीजों के ब्लड टेस्ट के लिए अलग से लैब और ओपीडी कक्ष का निर्माण किया जा चुका है।
प्रदेश के 18 जिलों में शुरू होगा यूनिट
शासन प्रदेश के 33 जिलों में से 18 जिलों में सिकलसेल यूनिट की स्थापना करने की योजना बनाई है, इसमें महासमुंद भी शामिल है। इसके खुलने से जिले से प्रति माह उपचार, जांच के लिए राजधानी रायपुर जाने वाले मरीज और परिजनों को बड़ी राहत मिलेगी। जिले में सिकलसेल से ग्रसित बड़ी संख्या में मरीज है। इस बीमारी के फैलाव को रोकने के लिए शासन द्वारा उपचार ही नहीं बल्कि मरीजों के साथ कांउसलिंग भी की जाएगी जिससे आने वाली पीढ़ी इस रोग से ग्रसित न हो।
क्या है सिकलसेल
रक्त में जीन्स के अनेक सेट होते हैं जो आप अपने जन्म देने वाले माता-पिता से प्राप्त करते हैं। प्रत्येक सेट आपके शरीर में एक खास भूमिका निभाता है, जैसे आपकी आंखों के रंग का निर्धारण या आपकी त्वचा के रंग को तय करना। जीन्स के एक अन्य सेट द्वारा यह निर्धारित किया जाता है कि लाल रक्त कोशिकाएं कैसे बनी हैं और वे किस प्रकार से काम करती है, और यह एक ऐसी विशेषता है जिसे आप अपनी आंखों से नहीं देख सकते हैं। इन जीन्स को हीमोग्लोबिन जीन्स कहा जाता है, जिनका नाम लाल रक्त कोशिकाओं में शामिल प्रोटीन के नाम पर रखागया है जो आपके शरीर में ऑक्सीज़न के परिवहन का काम करता है। आप अपने पिता और माता, दोनों से एक-एक हीमोग्लोबिन (एचबी) जीन प्राप्त करते हैं। सिकल सेल रोग के गुणों वाले व्यक्तियों में एक सामान्य हीमोग्लोबिन जीन (एचबीए) होता है और दूसरा सिकल हीमोग्लोबिन जीन (एचबीएस)होता है। एचबीएस के कारण लाल रक्त कोशिकाएं दरांती (सिकल) के आकार में बदल जाती हैं। सिकल सेल गुण होने का अर्थ यह नहीं है कि किसी को “ट्रेस” सिकल सेल रोग है। वास्तव में, इसके विपरीत होता है। सिकल सेल गुण, रोग से पूरी तरह से अलग होता है; संभावित रूप से इसके कारण लक्षण हो सकते हैं, लेकिन इसके उदाहरण बहुत ही कम हैं।सिकल सेल रोग को अंतरित करने का जोखिम इस बात पर निर्भर करता है कि क्या माता-पिता में से दोनों में उसके गुण हैं या उन्हे यह रोग है। ऐसे माता-पिता से पैदा होने वाले प्रत्येक बच्चे को संभावित रूप से सिकल सेल रोग हो सकता है।