महासमुंद। श्रीरामचरित मानस के रचियता सुविख्यात संत एवं महाकवि तुलसी दास की जयंती पर गुरुवार को मानस भवन में रामायण मंडली समिति मानस भवन द्वारा हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया गया। पश्चात चंद्रशेखर साहू ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस सनातन संस्कृति का अमूल्य धरोहर है। जिसमें ज्ञान,भक्ति, कर्म एवं सदाचार का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है। यह ना सिर्फ धर्म ग्रंथ है, बल्कि साहित्य की श्रेष्ठतम कृतियों में से एक है। श्रीराम चरित मानस की जन भाषा होने के कारण जन जन तक पहुंचा है। यह मर्यादा और आदर्शों का समग्र महाकाव्य है। पंडित बलदेव वैष्णव ने कहा कि संत तुलसीदास का संपूर्ण जीवन दर्शन विशिष्टताओं से पूर्ण है। जिस समय तुलसीदास जी का जन्म हुआ उस समय मुगल शासन था। उनके द्वारा रचित विनय पत्रिका भक्ति भाव दर्शाता है। गुरु नरहरी ने इन्हें अपने सानिध्य में लेकर भगवान की भक्ति का मार्ग दिखाते हुए उन्हें तुलसीदास का नाम दिया। कार्यक्रम को भूपेंद्र राठौड़ व तिलक साव ने भी संबोधित किया। भगवान रामचंद्र स्मृति व आरती के बाद कार्यक्रम का समापन किया गया। इस अवसर पर भूपेंद्र राठौड़, पंडित बलराम वैष्णव, शत्रुहन नामदेव, नारायण साहू, चंद्रशेखर साहू व तिलक साव, छगन श्रीवास उपस्थित थे।