Saturday, March 25, 2023
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दुष्कर्म पीड़िता ने लगाई गर्भपात की याचिका, बॉम्बे हाईकोर्ट ने जेजे अस्पताल से मांगी रिपोर्ट

मुंबई। दुष्कर्म के बाद गर्भवती हुई पीड़िता ने गर्भपात के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई के सरकारी जेजे अस्पताल को एक गर्भवती बलात्कार पीड़िता की जांच का आदेश देते हुए कहा है कि पीड़िता की जांच रिपोर्ट को 2 नंवबर तक जमा करे। दरअसल, बलात्कार के बाद गर्भवती हुई 14 साल की पीड़िता के पिता ने एक याचिका दाखिल करके अदालत से गर्भ को समाप्त करने की अनुमति मांगी है। इसी मामले में सुनवाई के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने जेजे अस्पताल को यह आदेश दिया है। 
सोमवार को पीड़िता के पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति माधव जामदार और न्यायमूर्ति कमल खाता की अवकाशकालीन पीठ ने सरकारी जेजे अस्पताल को 14 वर्षीय बलात्कार पीड़िता की जांच करने का निर्देश दिया। गौरतलब है कि पीड़िता इस समय 26 सप्ताह से गर्भवती है। इससे साथ ही पीठ ने अस्पताल के मेडिकल बोर्ड को 2 नवंबर को अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। पीठ ने कहा कि ‘हम जेजे अस्पताल के सभी संबंधित अधिकारियों को पीड़िता को अस्पताल में भर्ती कराने का निर्देश देते हैं। साथ ही जेजे अस्पताल के अधिकारियों से अनुरोध है कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 के प्रावधानों के तहत तुरंत एक मेडिकल बोर्ड बनाया जाए और याचिकाकर्ता की बेटी की जांच की जाए।’ दरअसल, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के प्रावधानों के तहत, 20 सप्ताह की अवधि के बाद गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति तब तक नहीं दी जाती जब तक कि उच्च न्यायालय से अनुमति नहीं ली जाती। अधिवक्ता तनवीर निज़ाम और मरियम निज़ाम के माध्यम से सोमवार को दायर याचिका में पीड़िता के पिता ने कहा कि पीड़िता के साथ उसके चाचा ने नवंबर 2021 से कई बार कथित तौर पर बलात्कार किया था। लड़की के पिता को इस कथित अपराध के बारे में अक्तूबर माह की शुरुआत में तब पता चला जब पीड़िता ने पेट दर्द की शिकायत की और मेडिकल जांच के बाद पता चला कि वह गर्भवती है। उसके बाद 24 अक्टूबर को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। याचिका में कहा गया कि पीड़िता समाज के निम्न सामाजिक-आर्थिक तबके से ताल्लुक रखती है। यह गर्भावस्था उसके लिए अत्यधिक पीड़ा और आघात का कारण बन रही थी। साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि पीड़िता खुद एक बच्ची है और वह गर्भावस्था को जारी नहीं रखना चाहती। 

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