महासमुंद। जिले में निर्माण कार्य की स्तरहीन गुणवत्ता पहले ही सुर्खियों में रहा है। चाहे वो लोक निर्माण हो या फिर जल संसाधन विभाग या अन्य कोई विभाग। इसी क्रम में निर्माण की गुणवत्ता की पोल खोलती एक और खबर सामने आई है जिसका निर्माण जल संसाधन विभाग की देखरेख में हुआ है। ग्राम पंचायत लोहारडीह स्थित बांध की मरम्मत के लिए करीब चार माह पूर्व छोटी-मोटी राशि नहीं बल्कि सवा करोड़ से भी अधिक राशि खर्च किया गया है। लेकिन इस साल हुई मानसून की बारिश ने बांध के निर्माण की गुणवत्ता की पोल खोल कर रख दी है। यह बात तब सामने आई जब बांध में भरे पानी के रिसाव से क्षेत्र के किसानों की खरीफ फसल चौपट होने लगी। किसान अपनी फसल बचाने बांध के पानी रिसाव रोकने दिनरात मेहतन करने में जुटे है। जानकारी के अनुसार लोहारडीह की क्षमता 0.99 एमसीएम है जिससे क्षेत्र के 308 हेक्टेयर की भूमि में सिंचाई होती है। वर्तमान में उक्त बांध सौ फीसदी भर चुका है। किसान राम दयाल यादव और उपसरपंच
होरीलाल साहू ने बताया कि लोहारडीह के बांध मे पिछले एक हफ्ते से गेट वाल प्लेटफार्म के पास से पानी का रिसाव हो रहा है। इससे उनकी चिंता बढ गई है। किसानों का कहना है कि बांध फूट जाता है तो 350 सौ किसानो का 550 एकड की फसल चौपट हो जायेगी। फसल चौपट होने से बचाने किसान बांध में मजदूरी कर पानी के रिसाव को रोकने में लगे है। किसानों का कहना है कि निर्माण गुणवत्ता विहिन है। जिसकी वजह से पानी का रिसाव हो रहा है। इधर, मजदूरी कर रहे किसानों को मजदूरी भुगतान करने विभाग के पास फंड का अभाव है। विभाग के अनुसार चार माह पूर्व उक्त बांध के मरम्मत के लिए 1 करोड 30 लाख रुपये खर्च किया गया है।
*बांध का पानी निकाला जा रहा है*
मामले में प्रभारी एसडीओ गिरीश टिकरिया का कहना है कि बांध में पानी के रिसाव को रोकने के लिए उच्चाधिकारियों के निर्देश पर बांध के पानी को निकाला जा रहा है। रिसाव की क्या वजह है इसकी जांच की जाएगी।