महासमुंद। शासन की सौर सुजला योजना के तहत किसानों के खेतों में लगने वाले पंप पिछले कुछ सालों से गोठानों में लगाए जा रहे है। यही कारण है कि किसानों के द्वारा आवेदन किए जाने के बाद भी योजना का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है।
शासन ने इस वर्ष जिले में योजना के तहत करीब 5 सौ किसानों के खेतों में पंप स्थापित करने का लक्ष्य रखा है जिसमें से अधिकांश पंप किसानों के खेतों की बजाए गोठानों में स्थापित करने की तैयारी है। जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष क्रेडा विभाग को 180 पंप स्थापित करने का लक्ष्य मिला था। इसके लिए जिले से करीब 377 किसानों ने आवेदन भी किया था। विभाग को 180 पंप किसानों के खेतों में स्थापित करना था, पर शासन के निर्देश पर विभाग ने पंप किसानों की बजाए 180 गोठानों में स्थापित कर दिया। जिस तरह से योजना पर कार्य चल रहा है उसे देखकर ऐसा लगता है कि योजना किसानों की बजाए गोठानों के लिए बनकर रह गई है।
*क्या है योजना का उद्देश्य*
योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को समृद्ध बनाना है ताकि वे दो बार फसल ले सकें। खेतों में सिंचाई सुविधा के अभाव में किसान दूसरी फसल नहीं ले पाते थे। इसके साथ जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा है उनके द्वारा पंप का उपयोग किए जाने से विद्युत की खपत अधिक होती है जिसे कम करना है। इसे ध्यान में रखते हुए शासन ने सौर सुजला योजना बनाई है, ताकि किसानों को सिंचाई के लिए किसी प्रकार की असुविधा न हो। योजना का लाभ किसानों को 2021 तक मिला, पर 2022 व 2023 दो साल से किसानों को लाभ मिलना लगभग बंद हो गया है।
*पिछले वर्ष का लक्ष्य गोठानों में पूरा हुआ*
जानकारी के अनुसार दो साल के विभागीय आकड़ों पर यदि नजर डालेंगे तो केवल गोठानों को ही लाभ मिल रहा है। आम किसान इसकी प्राथमिकता से बाहर हंै। किसानों के खेतों में सोलर पंप लगाने पिछले वर्ष कोई लक्ष्य नहीं मिला। 180 का लक्ष्य था, जिसे गोठानों में लगाया गया। इससे स्पष्ट है कि किसानों के लिए कोई लक्ष्य नहीं था। हालांकि 377 किसानों ने आवेदन दिया था।
*गोठान पहली प्राथमिकता है*
जिला क्रेडा अधिकारी एन के गायकवाड़ ने बताया कि इस वर्ष 5 सौ पंपों का लक्ष्य मिला है। पर पहली प्राथमिकता में गोठान है। इसके लिए जिला पंचायत से जानकारी मांगी है जिसके हिसाब से योजना पर कार्य किया जाएगा। किसानों को भी लाभ दिया जाएगा।