Monday, March 20, 2023
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छग में पहली बार मिली 24 सौ साल पुरानी मोहरें

पुरातत्व विशेषज्ञों का दावा है कि जो मुद्राएं मिली है वो देश में सबसे पहले मघ शासनकाल में मुद्रा चलन में आई

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायुपुर से करीब 25 किमी दूर स्थित ग्राम रीवा में 2400 साल पुरानी मुद्राएं मिली हैं। पुरातत्व विशेषज्ञों का दावा है कि जो मुद्राएं मिली है वो देश में सबसे पहले मघ शासनकाल में मुद्रा चलन में आई। पुरातत्व विशेषज्ञों को खुदाई के दौरान कुषाण काल और मघ शासनकाल के चांदी और तांबे के सिक्के भी मिले हैं। इसके अलावा शरभपूरी, कलचुरी शासकों के समय के सोने के सिक्के भी बड़ी संख्या में मिले हैं। खुदाई कर रही टीम का कहना है कि 2400 साल पहले रीवा 80 एकड़ का एक जलदुर्ग था। इसमें चार दरवाजे थे। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में जिस तरह के जलदुर्ग के बारे में बताया गया है, यह वैसा ही है। चार दरवाजों के प्रमाण भी मिले हैं। उत्खनन सहायक डॉ. अरुंधति परिहार ने बताया कि हमें नॉर्थन ब्लैक पॉलिश्ड बेयर के टुकड़े भी मिले हैं। करीब 2000 साल पहले राजाओं, महाजनों के घरों में इन्हीं बर्तनों में खाना खाया जाता था।
सिक्कों में छुपा है इतिहास: 4 तरीके के सिक्के, मोहरें मिली हैं
आहत मुद्रा- हिंदुस्तान में सबसे पहली मुद्रा। इसे पंचमार्ग मुद्रा भी कहा गया है। खुदाई में इसके 5 पीस मिले हैं।
ताम्र मुद्रा- 300 पीस मिले हैं। कुछ कुषाण काल के हैं। कुछ 1700 साल पुराने हैं।
जनपद मुद्राएं- 4 पीस मिली हैं। 2000 साल पुरानी। जनपदों में अलग-अलग मुद्रा चलती थीं। एक-दो काशी की हैं।
सोने के सिक्के- इनमें जो निशान मिले हैं, वे 6वीं शताब्दी के शरभपूरी राजवंश के हैं।
मुद्रा (मोहर) और मुद्रांक- ये 8 पीस मिले हैं। इसमें एक मैटल का है, बाकी मिट्‌टी के हैं। इन पर ब्रह्म लिपि लिखी है, जो कि मगघ वंश में चलती थी।
पहले घरों में मिल रहे थे सिक्कों से भरे मटके
पुरातत्ववेत्ता राजीव मिंज ने बताया कि यहां कई लोगों के घरों में सिक्कों से भरे मटके पहले मिल चुके हैं। ग्रामवासी दुर्गाराम ने 52 ताम्र सिक्कों से भरा मटका हम लोगों को दिया है। ये सिक्के भी कुषाण कालीन हैं।

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